जिसका कोई नहीं होता, उसका खुदा होता है, यह कहावत अब हाकिम हो गई है, जब एक मुस्लिम परिवार ने ट्रेन के टॉयलेट में मिले एक पांच महीने के बच्चे को मसीहा बना लिया। देहरादून से ज्वालापुर लौटते हुए एक परिवार ने इस बच्चे को अपने साथ ले लिया और उसकी परवरिश की जिम्मेदारी स्वीकार की।
प्रारंभ में, एक महिला ने ट्रेन के टॉयलेट में गंदगी में पड़े बच्चे को देखा और चौंक गई। इस परिवार ने तत्काल महिला से संपर्क किया, लेकिन इस बच्चे के माता-पिता के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली। देहरादून स्टेशन पर पहुंचते ही उन्होंने इस बच्चे को अपने साथ ले लिया और उसका उपचार करवाया।
इस अद्भूत कहानी में एक और मोड़ है, क्योंकि इस परिवार ने बच्चे को वारिस माना है, और उनका कहना है कि अगर कोई इस बच्चे का वारिस आता है तो उन्हें पुलिस की मदद से जांच पड़ताल करने के बाद सभी जानकारी सही से सौंपी जाएगी।
फैयाज, जो इस परिवार का हिस्सा है, ने बताया कि उनके परिवार में पहले से कई बच्चे हैं, लेकिन वे इस नए आए बच्चे की परवरिश के लिए भी तैयार हैं। उन्होंने यह भी जताया कि इस बच्चे का नाम अभी तक नहीं रखा गया है, लेकिन उन्हें यह उम्मीद है कि वारिस मिलने पर इसे सही से नामित किया जाएगा।
इस अद्भूत और साहसिक कदम के लिए पूरे समुदाय ने इस परिवार को सलामी दी है और इसे मसीहा बनने के लिए प्रेरित किया है। यह घटना दिखाती है कि मानवता के सच्चे मेहनत और सहानुभूति के क्षणों में हम सभी एक दूसरे के साथ सजग और समर्थ हो सकते हैं।
इस विशेष समाचार की ब्रेकिंग न्यूज के बाद, स्थानीय प्रशासन ने भी इस मामले की जांच करने का आदान-प्रदान किया है और उम्मीद है कि जल्दी ही बच्चे का वारिस मिलेगा और उसे सही से देखभाल मिलेगी।