Saturday, July 27, 2024
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नौनिहालों के हाथ नहीं पहुंची नई सत्र की किताबें! शिक्षण कार्य प्रभावित

उत्तराखंड के सरकारी विद्यालयों में नए शिक्षण सत्र को शुरू हुए तीन माह हो गए हैं। मगर विद्यालयों में अब तक किताबें नहीं पहुंची हैं। विद्यार्थी अब भी पुरानी किताबों से पढ़ रहे हैं। जबकि एनसीईआरटी का सिलेबस इस बार बदल गया है।

शासन की ओर से सरकारी विद्यालयों में पढ़ रहे कक्षा 1 से 12 वीं तक के विद्यार्थियों को निशुल्क किताबें वितरित की जाती हैं। ग्रीष्मकालीन अवकाश समाप्त होने के बाद 1 जुलाई से विद्यालय खुल गए है, लेकिन किताबों के अभाव में शिक्षण कार्य प्रभावित हो रहा है। संकुल संसाधन केंद्र हल्द्वानी से मिली जानकारी के अनुसार सभी कक्षाओं की पर्याप्त किताबों सीआरसी में नहीं पहुंच पाई हैं। कई कक्षाएं ऐसी हैं, जिनकी सभी विषयों की पुस्तकें नहीं आई हैं। उपलब्ध पुस्तकों को विद्यालयों को वितरित किया जा रहा है। कक्षा 4 व 5 की अंग्रेजी की किताब नहीं आई है। कक्षा 6, 7, 8, 9, 10 की भी सभी विषयों की किताबें नहीं आई हैं। 12 वीं में मात्र अबतक गणित की पुस्तक ही उपलब्ध हो पाई है। ऐसे में इस कक्षा की किताबों का वितरण शुरू नहीं हो पाया है। जबिक इंटर के विद्यार्थियों को अगले वर्ष बोर्ड की परीक्षाएं देनी है। शासन की ओर से इस बार मान्यता प्राप्त अशासकीय विद्यालयों को भी निशुल्क किताबें वितरित की जा रही हैं। जबिक पूर्व में इन विद्यालयों को किताबें वितरित नहीं की जाती थी। एमबी इंटर कॉलेज, एचएन इंटर कॉलेज जैसे कई अशासकीय विद्यालयों में पढ़ रहे विद्यार्थियों को पहली बार निशुल्क किताबें मिलेंगी। शासन की ओर से कक्षा 1 से 8 तक के विद्यार्थियों को स्कूल ड्रेस की राशि प्रदान की जाती है। नगर क्षेत्र के स्कूलों के बच्चों के खातों में यह राशि डीबीटी की जाती है और ग्रामीण क्षेत्र के विद्यालय स्वयं छात्र-छात्राओं को रेडीमेट ड्रेस देते हैं। स्कूल ड्रेस की राशि को लेकर जनरल श्रेणी के छात्रों के साथ भेदभाव किया जा रहा है। सरकार की ओर से उन्हें ड्रेस के लिए कोई राशि नहीं दी जाती है। इससे बच्चों के बीच भी भेदभाव बढ़ रहा है।

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