Saturday, July 27, 2024
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उत्तराखंड के सभी जिलों में मिलेगी गर्मी से निजात! आज भी जारी रहेगा बारिश का दौर

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उत्तराखंड के लोगों को झुलसाती गर्मी से छुटकारा मिलने वाला है! आज मौसम विभाग की ओर से उत्तराखंड वासियों के लिए खुशखबरी है। पूरे प्रदेश में बारिश का अनुमान है। गर्मी ने इस बार पहाड़ के लोगों को भी झुलसा दिया है। लोग बारिश के लिए आसमान की ओर टकटकी लगाए देख रहे हैं। बुधवार शाम को तेज हवाओं के बाद बारिश हुई. इससे मौसम थोड़ा सुहाना हो गया।

आज गुरुवार को पूरे प्रदेश में कई जगहों पर बारिश होने वाली है। राज्य के सभी जिलों में कुछ जगहों पर हल्की से मध्यम बारिश होने की संभावना व्यक्त की गई है. उत्तराखंड के 5 जिलों में तेज बारिश होगी। बाकी 7 जिलों में मध्यम बारिश होगी। जिन 5 जिलों में तेज बारिश होगी उनमें तीन जिले गढ़वाल मंडल में स्थित हैं. तेज बारिश की संभावना वाले दो जिले कुमाऊं मंडल में हैं। मौसम विभाग के अनुसार उत्तराखंड के गढ़वाल मंडल में स्थित उत्तरकाशी, चमोली और रुद्रप्रयाग जिलों में कई स्थानों पर तेज बारिश होगी। इसके साथ ही इन जिलों के कई स्थानों पर तेज बादल गर्जेंगे। बिजली भी चमकेगी। आंधी तूफान भी आएगा। कुमाऊं मंडल के सीमांत पिथौरागढ़ और बागेश्वर जिलों में कई स्थानों पर तेज बारिश आएगी। बादलों की गर्जन के साथ बिजली चमकेगी। झोंकेदार हवाएं चलेंगी। पांच जिलों में तेज बारिश के अलावा बाकी 7 जिलों में सामान्य बारिश होगी। इन जिलों में टिहरी, पौड़ी, देहरादून, हरिद्वार, उधमसिंह नगर, नैनीताल, अल्मोड़ा और चंपावत शामिल हैं। इन जिलों में सामन्य वर्षा के साथ बादल तेज गर्जने के साथ बिजली चमकेगी और आंधी आएगी।

उत्तराखंड में हीटवेव अलर्ट के बावजूद खुले स्कूल! एक्स्ट्रा एक्टिविटी के नाम पर बच्चों के स्वास्थ्य से खिलवाड़

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भारत के कई हिस्सों में पिछले एक महीन से अधिक समय से लगातार भीषण गर्मी का प्रकोप जारी है। हीटवेव और अधिक तापमान वाले क्षेत्रों में मौसम विभाग के डेटा पर नजर डालें तो साफ हो जाता है कि वाकई इस बार गर्मी ने सात दशक पुराना रिकॉर्ड तोड़ दिया है। तापमान 40 से भी पार पहुंच रहा है और कुछ हिस्सों में तो तापमान 45 और 50 के भी पार है। ऐसे में स्कूली बच्चों के लिए गर्मी की छुट्टियां खत्म हो जाना एक बड़ी आफत बन गया है। उत्तराखंड में ज्यादातर तराई क्षेत्रों के स्कूल भीषण गर्मी में खुल चुके है तो कई स्कूल एक्स्ट्रा एक्टिविटी के नाम पर खोले जा चुके है,जिससे बच्चो की हालत खराब होने लगी है।

स्कूल खुलते ही बच्चो को कूलर और एसी से निकलकर स्कूल जाना पड़ रहा है,दिन दोपहरी की गर्मी बच्चे बर्दाश्त नहीं कर पा रहे हैं। सूत्रों की माने तो उत्तराखंड में उधम सिंह नगर,देहरादून नैनीताल जिले के हल्द्वानी,सहित कई जगहों में स्कूल खुल जाने को लेकर अभिभावकों में खासा रोष व्याप्त हो गया है,उनका कहना है कि इस साल भयंकर गर्मी पड़ रही है मौसम विभाग ने भी लगातार हीट वेव की चेतावनी दी हुई है,बारिश न होने के वजह से तापमान में गिरावट भी नही आई जिस के कारण बच्चे बीमार पड़ने लगे है,बड़े ही नही बच्चे भी डायरिया की चपेट में आ रहे है बावजूद इसके स्कूल खोले जा रहे है जहां बच्चो के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है। अभिभावकों ने शासन प्रशासन से मांग की है कि तापमान में गिरावट होने तक स्कूल में अवकाश और बढ़ा दिया जाए। आपको बता दें कि पूरे देश में अब तक की सबसे भयानक गर्मी पड़ रही है। कई हिस्सों में लगातार 50 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा तापमान बना हुआ है। बुधवार को दिल्ली में 52 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा तापमान दर्ज किया गया, लेकिन इसका अभी भी मूल्यांकन और फिर से जांच की जा रही है. जबकि शहर के अधिकारियों ने पानी की कमी और बिजली ग्रिड के ट्रिप होने के जोखिम की भी चेतावनी दी है। दिल्ली में साल 2002 में सबसे ज्यादा 49.2 डिग्री सेल्सियस पारा रिकॉर्ड हुआ था। एक दिन पहले यानी 27 मई 2024 को तापमान 49.9 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया था। फिलहाल तापमान ने दिल्ली में एक नया रिकॉर्ड बना लिया है।ऐसी जला देने वाली गर्मी में जब दिन के वक्त सड़के वीरान दिखाई दे रही थीं वही अब स्कूल खुलने से बच्चो को चिलमिलाती गर्मी में स्कूल जाना पड़ रहा है।

 

उत्तराखंड में मानसून से पहले यूएसडीएमए में इस्तीफे का दौर जारी! सिर्फ कहने को आपदा प्रबंधन विभाग

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उत्तराखंड में जंगल जल रहे हैं और मानसून सत्र भी दस्तक देने जा रहा है। यानी अभी जंगलों की आग आपदा के रूप में मुसीबत बनी हुई है और आने वाले दिन बरसात संबंधी आपदाओं के लिए संभावित चिंता को बढ़ा रहे है। इन हालातों के बीच उत्तराखंड का आपदा प्रबंधन सिस्टम सिर्फ कहने मात्र के लिए रह गया है. यहां एक के बाद एक अधिकारी इस्तीफे दे रहे हैं। जिसने आपदा की तैयारी को लेकर आपदा प्रबंधन विभाग की पोल खोल दी है।

उत्तराखंड में आपदा प्रबंधन विभाग को एक्टिव करने की कोशिश हो रही है। वैसे तो हिमालय राज्य उत्तराखंड में साल भर आपदाएं मुसीबत बनी रहती है। लेकिन मानसून सत्र खासतौर पर राज्य के लिए मुसीबत बनकर आता है। हाल ही में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी मानसून सत्र की तैयारी संबंधी बैठक ली है। लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि ये विभाग अब कहने मात्र को ही बचा हुआ है और विभाग में एक के बाद एक कई इस्तीफो ने हड़कंप मचाया हुआ है। पिछले 20 साल से एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर के रूप में काम कर रहे अधिकारी से लेकर दूसरे महत्वपूर्ण पदों वाले अधिकारी भी यहां से इस्तीफा दे चुके हैं। खबर है कि इन हालातों की जानकारी मुख्यमंत्री कार्यालय तक भी पहुंच गई है। लेकिन फिलहाल आपदा प्रबंधन को लेकर इन स्थितियों से निपटने के लिए कोई खास एक्शन प्लान नहीं बनाया जा सका है।

उत्तराखंड देश में सबसे पहले आपदा प्रबंधन मंत्रालय बनाने वाला राज्य होने का दंभ तो भरता है। लेकिन यहां की ब्यूरोक्रेसी और सत्ताधारी राजनीतिज्ञ इस विभाग को कभी कांट्रेक्ट व्यवस्था से बाहर ही नहीं ला पाए. विशेषज्ञों से लेकर जिला स्तर तक के कर्मचारियों से सिर्फ कॉन्ट्रैक्ट पर ही काम लिया जा रहा है। यहां आपदा प्रबंधन विभाग में स्थाई के नाम पर या तो सचिव आपदा प्रबंधन है या शासन में बैठे सचिवालय सेवा के अधिकारी, कर्मचारी। बाकी एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर से लेकर नीचे के कर्मचारियों को कामचलाऊ व्यवस्था में ही रखा गया है। हाल ही में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मानसून सीजन की तैयारी को लेकर बैठक ली है और मुख्य सचिव भी संदर्भ में दिशा निर्देश जारी कर चुकी है। लेकिन इस बैठक में आपदा प्रबंधन सचिव ने तैयारी पर मुख्यमंत्री को कौन सा एक्शन प्लान बताया होगा यह समझना थोड़ा मुश्किल है। ऐसा इसलिए क्योंकि आपदा प्रबंधन विभाग का राज्य में मुख्य स्वरूप उत्तराखंड स्टेट डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी के रूप में है और इस अथॉरिटी में काम करने वाले एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर पीयूष रौतेला पहले ही इस्तीफा दे चुके हैं।

इसके अलावा जूनियर एग्जीक्यूटिव और एसईओसी इंचार्ज राहुल जुगरान भी इस्तीफा दे चुके हैं। फिलहाल यह दोनों अधिकारी नोटिस पीरियड पर है। इसके अलावा मैनेजर टेक्निकल भूपेंद्र भैसोड़ा, डीआरएम स्पेशलिस्ट गिरीश जोशी, सिविल इंजीनियर शैलेंद्र घिल्डियाल भी पहले ही रिजाइन कर चुके हैं। यह सब वह अधिकारी है जो आपदा प्रबंधन के साथ 5 साल से लेकर 20 साल से जुड़े हुए थे। इतना ही नहीं देहरादून में जिला स्तर पर आपदा अधिकारी के रूप में काम कर रही दीपशिखा और मनोज पांडे ने भी इस्तीफा दे दिया है। सूत्र बताते हैं कि बाकी कई जिलों में भी इस्तीफे दिए गए हैं। आपदा प्रबंधन विभाग में 20 साल से काम कर रहे एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर पीयूष रौतेला को 2019 से कोई इंक्रीमेंट ही नहीं मिला है, न ही प्रमोशन का ही कोई स्केल दिया गया। लिहाजा पीयूष रौतेला ने इस्तीफा देने का फैसला किया। जूनियर एग्जीक्यूटिव राहुल जुगरान भी इस्तीफा देकर नोटिस पीरियड में है और उन्होंने तो हाई कोर्ट तक का भी दरवाजा खटखटाया है। इस मामले में पिछले महीने ही हाईकोर्ट ने सरकार को निर्देश देते हुए काउंटर फाइल करने के लिए कहा है। राहुल जुगरान हाईकोर्ट रेगुलाइजेशन को लेकर गए हैं, जिसकी अगली तारीख जुलाई में लगी है। आरोप यह भी है कि एक तरफ ना तो सरकार की तरफ से कितने साल काम करने के बाद भी कोई लाभ दिया गया है ऊपर से बेवजह का दबाव भी बनाया जा रहा है। सचिव आपदा रंजीत सिन्हा के स्तर पर भी कुछ शिकायतें इस्तीफा देने वाले अफसरों को हैं। आपदा प्रबंधन विभाग राज्य में अथॉरिटी के रूप में काम कर रहा है और यहां रेगुलाइजेशन नहीं होने की अधिकारी और कर्मचारियों को बड़ी शिकायत है। हालांकि पहली बार इस विभाग में स्थाई कर्मचारियों के रूप में अकाउंटेंट रखे गए हैं। आयोग के स्तर पर हुई परीक्षा के बाद पहली बार इस विभाग को स्थाई कर्मचारी मिल रहे हैं। खबर है कि इस पूरे मामले की जानकारी मुख्यमंत्री कार्यालय तक पहुंच गई है। ऐसे में अब इंतजार है कि सरकार इस स्थिति में क्या निर्णय लेती है। राज्य में फिलहाल वनाग्नि के रूप में एक बड़ी आपदा से प्रदेश गुजर रहा है और अब मानसून भी नजदीक है। ऐसे में सरकार को जल्द ही इस संबंध में कोई बड़ा कदम उठाना होगा, ताकि प्रदेश में आपदा के दौरान मैनपावर की समस्या खड़ी ना हो। हालांकि पिछले कई सालों से आपदा प्रबंधन में एक कुशल खिलाड़ी की तरह आपदा की घटनाओं में नियंत्रण को लेकर काम कर रहे अधिकारी कर्मचारियों का विकेट विकेट गिरना आने वाली चुनौतियों के लिए एक बड़ा संकट बन गया है।

उत्तराखंड: एक और हादसा! खिर्सू मार्ग पर खाई में गिरी कार, दो बच्चों समेत चार की माैत, तीन घायल

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उत्तराखंड के श्रीनगर में रविवार को दर्दनाक हादसा हो गया। खिर्सू कठुली लिंक मोटर मार्ग पर एक कार खाई में गिर गई। हादसे में दो बच्चों समेत चार लोगों की माैत की मौत हो गई। जबकि तीन लोग घायल हो गए। वहीं दो घायलों को एम्स रेफर किया गया है। एसएसआई सुनील रावत ने बताया कि कार खिर्सू से कठुली गांव को जा रही थी। तभी कार अनियंत्रित होकर खाई में जा गिरी। सूचना मिलते ही एसडीआरएफ की टीम माैक पर पहुंची और राहत एवं बचाव कार्य शुरू किया। बताया जा रहा है कि वाहन में सात लोग सवार थे। पुलिस के अनुसार, तीन घायलों को निकाला गया है। उनका इलाज चल रहा है। साक्षी नेगी और समीक्षा को एयर लिफ्ट कर एम्स ऋषिकेश भेजा गया है।

केदारनाथ यात्रा में अब तक 356 घायल और बीमारों लोगों को किया गया रेस्क्यू! 80 स्थानों से हटाया अतिक्रमण

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रुद्रप्रयाग: केदारनाथ यात्रा में श्रद्धालुओं में खासा उत्साह देखने को मिल रहा है। भारी संख्या में देश-विदेश से केदारनाथ यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं की यात्रा सुखद एवं सुगम हो, इसके लिए जिलाधिकारी सौरभ गहरवार के निर्देशन में जिला प्रशासन लगातार प्रयासरत है। वहीं मानसून के दृष्टिगत सुरक्षा की दृष्टि से चिन्हित संवेदनशील 80 स्थानों से अतिक्रमण भी हटाया गया है। साथ ही बीमार यात्रियों के रेस्क्यू के लिए टीम सक्रियता से कार्य कर रही है।

गौरीकुंड से केदारनाथ 20 किलोमीटर के कठिन पैदल मार्ग में कई बार यात्री बीमार एवं चोटिल हो जाते हैं। ऐसे में यात्रियों को तत्परता के साथ रेस्क्यू कर उपचार देने के लिए जिला प्रशासन ने जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी एवं सुरक्षा बलों की सहायता से रेस्क्यू सिस्टम तैयार है। जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी नंदन सिंह रजवार ने बताया कि रेस्क्यू सिस्टम कारगर तरीके से कार्य कर रहा है। इसके लिए पैदल यात्रा मार्ग को सात पड़ाव में विभाजित किया गया है। हर पड़ाव पर डीडीआरएफ, एसडीआरएफ, यात्रा मैनेजमेंट फोर्स, एनडीआरएफ सहित प्रशासन के अन्य कार्मिक तैनात हैं। किसी भी यात्री के चोटिल या बीमार होने की सूचना मिलते ही रेस्क्यू टीम उन्हें उपचार को लेकर स्वास्थ्य केंद्र पर रेस्क्यू के लिए लेकर जाते हैं। केस की संवेदनशीलता एवं गंभीरता को देखते हुए कई दफा यात्रियों को उपचार के लिए हायर सेंटर तक भी रेस्क्यू किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि केदारनाथ धाम की यात्रा के दौरान अब तक 356 लोगों को मैनुअल रेस्क्यू किया जा चुका है वहीं 43 लोगों को हेली सेवा के माध्यम एवं 67 लोगों को एंबुलेंस के माध्यम से रेस्क्यू कर उपचार के लिए हायर सेंटर भेजा गया है। इसके साथ ही आगामी मानसून अवधि के दृष्टिगत सुरक्षा की दृष्टि से चिन्हित संवेदनशील 80 स्थानों से अतिक्रमण भी हटाया गया है और यह अभियान लगातार जारी रहेगा।

उत्तराखंड: सीएम धामी ने किया जौलीग्रांट-कालूवाला सिंचाई नहर हेड का शुभारंभ! कालू सिद्ध मंदिर में की विशेष पूजा

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स्प्रिंग एंड रिवर रेजुविनेशन प्राधिकरण (सारा) देहरादून द्वारा जल संरक्षण अभियान 2024 के तहत कालूवाला में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस दौरान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज, सुबोध उनियाल, विधायक बृजभूषण गैरोला ने भाग लिया। कार्यक्रम से पहले मुख्यमंत्री व अन्य नेताओं ने कालू सिद्ध मंदिर में विशेष पूजा अर्चना में भाग लिया। मुख्यमंत्री ने करीब साढ़े तीन करोड़ की लागत से तैयार जौलीग्रांट-कालूवाला सिंचाई नहर के हेड का शुभारंभ किया। सीएम धामी ने इस दौरान बड़ का पौधा भी रोपा,जिससे पांच गांवों के करीब सैकडों किसानों को लाभ मिलेगा। कार्यक्रम में संबंधित विभागों के अधिकारी भी मौजूद रहे।

केदारनाथ धाम पहुंचने वाले तीर्थयात्रियों का आकड़ा 7.66 लाख पार

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भगवान आशुतोष के द्वादश ज्योतिर्लिंग में एक केदारनाथ की यात्रा को एक महीना हो गया है। कपाट खुलने वाले दिन से ही यात्रा नए आयाम स्थापित करते आ रही है। बीते एक महीने में धाम में 7,66,818 श्रद्धालु दर्शन कर चुके हैं, जो यात्रा के इतिहास में नया रिकार्ड है। पूरे माह औसतन प्रतिदिन 25 हजार से अधिक श्रद्धालु धाम पहुंचे हैं। एक दिन में 21 मई को सर्वाधिक 38,682 श्रद्धालु धाम में दर्शन के लिए पहुंचे थे। 10 मई से शुरू हुई केदारनाथ यात्रा में इस बार उम्मीद से कई अधिक श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। भले ही बीते कुछ दिनों से यात्रा की रफ्रतार धीमी हुई है लेकिन, कपाट खुलने के बाद से पहले पखवाड़े में श्रद्धा, भत्तिफ और आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा। यात्रा की रफ्रतार से जो रिकॉर्ड बनने शुरू हुए, वह अब भी जारी है। कपाट खुलने के दिन धाम में 29,030 श्रद्धालुओं ने दर्शन किए, जो बाबा केदार की यात्रा में नया अध्याय है। इससे पूर्व वर्ष 2022 में 25 हजार से अधिक और 2023 में 23516 शिव भत्तफों ने कपाट खुलने पर बाबा केदार के दर्शन किए थे। कपाट खुलने के बाद चौथे दिन 13 मई को ही दर्शनार्थियों का आंकड़ा 1 लाख के पार हो गया था। जबकि आठवें दिन दर्शनार्थियों का आंकड़ा 2 लाख, 12वेें दिन 3 लाख पार हो गया था। कपाट खुलने के बाद से 9 जून तक 31 दिन की यात्रा में धाम में 7,66,818 श्र(ालु दर्शन कर चुके हैं। इस वर्ष कपाट खुलने के बाद दूसरे सप्ताह में प्रतिदिन 30 हजार से अधिक श्र(ालु धाम पहुंचे, जिस कारण प्रशासन, पुलिस और श्रीबदरीनाथ- केदारनाथ मंदिर समिति को खासी मशक्कत करनी पड़ी। कोरोनाकाल के बाद इस वर्ष केदारनाथ में भगवान केदारनाथ के बाल भोग का समय बदला गया। बाबा केदार को दोपहर 12 बजे बाल भोग लगाया जा रहा है। जबकि दोपहर बाद एक बजे से बाबा केदार के शृंगार दर्शन हो रहे हैं, जिसमें श्रद्धालुओं को सभामंडप से दर्शन कराए जा रहे हैं। ऐसे में जहां श्रीबदरीनाथ- केदारनाथ मंदिर समिति को भीड़ प्रबंधन में मदद मिल रही है। वहीं, ज्यादा से ज्यादा श्रद्धालु भी धाम पहुंचकर दर्शन कर रहे हैं।

उत्तराखंड में 10 जुलाई तक हो सकेंगे कर्मियों के तबादले

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उत्तराखंड में कर्मचारियों के तबादले अब 10 जुलाई तक हो सकेंगे। शुक्रवार सात जून को अमर उजाला में कर्मचारियों के तबादलों की खबर प्रमुखता से प्रकाशित होने के बाद सरकार ने तबादला एक्ट के तहत तबादला आदेश जारी करने की अंतिम तिथि एक महीने बढ़ा दी है। मंगलवार को मुख्य सचिव की अध्यक्षता में हुई बैठक में निर्णय लिया गया कि फाइल को अनुमोदन के लिए मुख्यमंत्री के पास भेजा जाएगा। लोकसभा चुनाव की वजह से राज्य में 15 हजार से अधिक कर्मचारियों के तबादले लटक गए थे। तबादला एक्ट के तहत 10 जून तक तबादला आदेश जारी करने की अंतिम तिथि थी, लेकिन अधिकतर विभाग तय तिथि तक तबादला आदेश जारी नहीं कर पाए। कुछ विभाग तो इसे लेकर अभी प्रक्रिया भी शुरू नहीं कर पाए। अपर सचिव कार्मिक ललित मोहन रयाल के मुताबिक, सभी विभागों को तबादलों के लिए 10 जुलाई तक का समय दिया गया है। जिन विभागों की ओर से तबादलों के लिए प्रस्ताव तैयार कर लिया गया है, वे विभाग तैयार प्रस्ताव के अनुसार तय तिथि से पहले कभी भी तबादला आदेश जारी कर सकते हैं। जिन विभागों में तबादला आदेश जारी कर दिया गया है, उन विभागों के तबादले मान्य होंगे।

उत्तराखंड लोक सेवकों के लिए वार्षिक स्थानांतरण विधेयक 2017 के तहत कर्मचारियों और अधिकारियों के तबादले होते हैं, लेकिन कुछ विभाग विशेष परिस्थितियों का हवाला देते हुए अनिवार्य तबादलों से छूट की मांग करते हैं। अपर सचिव कार्मिक ललित मोहन रयाल के मुताबिक, कार्मिक विभाग के पास अभी इस तरह का कोई प्रस्ताव नहीं आया। शिक्षा विभाग ने शासन को शिक्षकों के तबादलों के लिए काउंसलिंग को लेकर दिशा निर्देश जारी करने का अनुरोध किया है। जिस पर कार्मिक विभाग का कहना है कि तबादला एक्ट में कहीं नहीं है कि काउंसलिंग नहीं होगी। शिक्षा विभाग इस पर निर्णय ले। तबादला एक्ट के तहत विभागाध्यक्ष को पहले कार्यस्थल का मानक के अनुसार चिन्हीकरण करना होगा। सभी विभाग तबादलों के लिए समिति का गठन करेंगे। हर संवर्ग के लिए सुगम, दुर्गम क्षेत्र के कार्यस्थल और खाली पदों की सूची जारी की जाएगी। अनिवार्य तबादलों के लिए पात्र कर्मचारियों से 10 इच्छित स्थानों के विकल्प लिए जाएंगे। प्राप्त विकल्पों और आवेदन पत्रों का विवरण वेबसाइट पर प्रदर्शित किया जाएगा। इसके बाद 10 जुलाई तक तबादले किए जाएंगे।

यूपी के भूमाफ़िया के रडार पर उत्तराखंड की बेशकीमती जमीन! जिस बिल्डर को किया योगी सरकार ने किया ब्लैकलिस्टेड,उस बिल्डर के प्रोजेक्ट को उत्तराखंड सरकार ने किया अप्रूव

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उत्तराखंड अपने नैसर्गिक सुंदरता के लिए विश्व विख्यात है जिसके चलते हर कोई यहाँ में अपना आशियाना बनाना चाहता है इसी के चलते पिछले काफी समय से प्रदेश के हर महानगर और विशेषकर देहरादून,ऊधम सिंह नगर से लगते क्षेत्र में भूमाफियाओं की फौज ने डेरा डाल हुआ है और लगातार यहा की बेशकीमती जमीनों को गैरकानूनी तरीके से खुर्द-बुर्द करने का काम कर रहे हैं। ऐसा ही एक ताजा मामला जनपद ऊधम सिंह नगर जिला मुख्यालय रुद्रपुर से सामने आया है। जहां यूपी के कुछ भगोड़े भू माफिया ऊधम सिंह नगर की बेशकीमती जमीन को औने-पौने दाम में खरीद कर बिल्डिंग बनाकर बेच रहे है।

जानकारी के अनुसार उत्तरप्रदेश में योगी सरकार के रडार पर चल रहे एलाइंस बिल्डर ने अब उत्तराखंड में डेरा डाल दिया है। यूपी से भगोड़े और गैंगस्टर में कार्यवाही होने के बाद इस कंपनी के कई निदेशको ने इन दोनों रुद्रपुर में शरण लिए हुए हैं। और यहां एलाइंस मैनचेस्टर नाम से आवासीय कॉलोनी भी लॉन्च कर दी है। बिल्डर की नजर अब उत्तराखंड की तिजोरी पर है। सीधे-साधे लोगों को यूपी की तरह अपने जाल में फंसाकर अपने गोरख धंधे को अंजाम दे रहे हैं। एक तरफ जहां भाजपा शासित राज्य उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने इस बिल्डर को अपने राज्य से भगाया हो, उसे उत्तराखंड में किसकी शह पर जगह मिल गई। जानकारी के अनुसार नवंबर 2022 में उत्तर प्रदेश के बरेली में सरकारी जमीन कब्जाने धोखाधड़ी जालसाज़ी करने के चलते बरेली विकास प्राधिकरण ने एलायंस बिल्डर्स के निदेशक समेत 17 लोगों पर एफआईआर दर्ज़ करवाई थी जिसके बाद पुलिस ने एलायंस बिल्डर्स के निदेशक अरविंदर सिंह, निदेशक रमनदीप सिंह, अमनदीप व युवराज के खिलाफ लुक आउट नोटिस जारी किया गया और गैंगस्टर की कार्रवाई की । मामला हाइलाइट होने पर एलायंस बिल्डर्स के फर्जीवाड़े और जालसाज़ी के कई मामले सामने आते चले गए और सीएम योगी के कढ़े निर्देश के बाद एलायंस बिल्डर्स की संपत्ति जब्त करने की कार्रवाई शुरू कर दी गयी ।

एलायंस बिल्डर्स ने 25 वर्षो से 100 करोड़ से अधिक की सरकार जमीन कब्जा रखी थी जिसे एलायंस बिल्डर्स के निदेशक खुर्द बुर्द कर बेचने की फिराक में थे । लेकिन योगी सरकार ने तत्काल कार्यवाही करते हुए एलायंस बिल्डर्स से सरकारी जमीन को मुक्त करवाया । इसके अलावा एलायंस बिल्डर्स ने कई लोगों से धोखाधड़ी कर उनकी जमीन कब्जाने, फर्जी रजिस्ट्री करने, जालसाजी से जमीन बेचने जैसे संगीन मामले मामले सामने आते चले गए । जिसके बाद पुलिस ने एलायंस बिल्डर्स के ऑफिस और निदेशकों के ठिकानों पर छापेमारी की जिसमें 41 बोरॉन में बंद हजारों की संख्या में रजिस्ट्रियाँ बरामद की गयी और एलायंस बिल्डर्स के निदेशकों और कर्मचारियों को हिरासत में लिया गया और एलायंस बिल्डर्स की 150 करोड़ से अधिक की संपत्ति कुर्क करने की कार्यवाही की गयी । एलायंस बिल्डर्स जिसे उत्तर प्रदेश सरकार ने भू माफ़िया होने के चलते गैंगस्टर और भगोड़ा घोषित किया हुआ है उत्तराखंड में करोड़ों छाप रहा है । एलायंस बिल्डर्स उत्तर प्रदेश के बाद अब उत्तराखंड में फर्जीवाड़ा करने की कोशिश में है जिसके चलते उत्तराखंड में भी कई सौ एकड़ जमीन अधिकारियों की साँठगांठ के चलते खरीद चुका है एलायंस बिल्डर्स ने नया प्रोजेक्ट ‘एलाएंस मेंचेस्टर’ नाम से रेरा में पंजीकृत करवा दिया है । ‘एलाएंस मेंचेस्टर’ प्रोजेक्ट जो कि और रुद्रपुर किच्छा रोड पर हाइवे से लगा हुआ है और राजस्व ग्राम भमरौला के अंतर्गत आता है आवाज़ इंडिया की तफतीश के अनुसार एलाएन्स मेंचेस्टर प्रोजेक्ट रेरा के नियमों को पूरा नहीं करता है बावजूद इसके एलायंस बिल्डर्स का प्रोजेक्ट अप्रूव कर दिया गया है बमरौला के ग्राम प्रधान जिआ उल रहमान से मिली जानकारी के अनुसार एलाएन्स मेंचेस्टर प्रोजेक्ट 34 एकड़ में बना हुआ है और पूरी तरह से वैध है । लेकिन रेरा के अनुसार इसका प्रोजेक्ट एरिया 28 एकड़ है और कवर्ड एरिया मात्र 14 एकड़ । इस पूरे प्रोजेक्ट में कई लोगों की जमीन है और 20 से ज्यादा खाते है जिनमें कई खाते अब भी कृषि भूमि के रूप में दर्ज़ है । और इस पूरी कॉलोनी के बीच में ग्राम समाज की जमीन है जिसमें सिंचाई करने और जानवरों के पानी पीने के लिए तालाब का निर्माण किया गया है लेकिन प्रोजेक्ट के ठीक बीच में होने के कारण इसे दीवारों से कवर कर दिया गया है ।

वही इस मामले में जिला विकास प्राधिकरण के अधिकारियों से बात करने की कोशिश कि लेकिन कोई भी कैमरे के सामने नहीं आया और न ही किसी अधिकारी ने आधिकारिक तौर पर मीडिया को एलाएन्स मेंचेस्टर प्रोजेक्ट से संबन्धित बयान दिये जिससे साफ पता चलता है कि उत्तर प्रदेश का भू माफ़िया उत्तराखंड सरकार के अधिकारियों से मिलीभगत कर रुद्रपुर में प्रोजेक्ट को स्थापित कर रहा है । हमारी निवेशकों से अपील है कि निवेश करने से पहले बिल्डर को जरूर जाने और जिस जमीन पर प्रोजेक्ट बनाया जा रहा है उसके सभी दस्तावेजों का स्वयं निरीक्षण करें ताकि आपकी गाढ़ी कमाई भू माफियाओं के फर्जीवाड़े में न डूब जाएँ ।

उत्तराखड को पीएम मोदी का रिटर्न गिफ्ट! केंद्रीय कैबिनेट में शामिल हुए अनुभवी अजय टम्टा

लोकसभा चुनाव में लगातार तीसरी बार पांच कमल खिलाने वाले उत्तराखंड को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी कैबिनेट में प्रतिनिधित्व देकर रिटर्न गिफ्ट दिया है। अल्मोड़ा-पिथौरागढ़ संसदीय क्षेत्र से लगातार तीसरी बार चुनाव जीते अनुभवी अजय टम्टा को मोदी कैबिनेट में हिस्सा बने हैं । 2014 में जब टम्टा पहली बार निचले सदन के लिए चुने गए थे, तो उन्हें मोदी मंत्रिमंडल कपड़ा राज्यमंत्री बनाया गया था। इस लिहाज से टम्टा एक टेस्टेड चेहरा हैं। सियासी जानकारों का मानना है कि अजय टम्टा को कैबिनेट में स्थान देकर केंद्रीय नेतृत्व ने जातीय और क्षेत्रीय समीकरण साधने का प्रयास किया। टम्टा को सुरक्षित सीट का प्रतिनिधित्व करने का भी लाभ मिला। भाजपा की राजनीतिक सत्ता में दलित वर्ग के प्रभावी प्रतिनिधित्व का जो खालीपन नजर आ रहा था, नेतृत्व ने उसे भरने की कोशिश की है। जानकारों के मुताबिक, टम्टा को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की नजदीकी का भी लाभ मिला। धामी भी टम्टा के संसदीय क्षेत्र की चंपावत विधानसभा का प्रतिनिधित्व करते हैं। मुख्यमंत्री को चार दिन पहले ही नई दिल्ली बुला लिया गया था। सूत्रों का कहना है कि केंद्रीय नेतृत्व ने उनसे फीडबैक जरूर लिया होगा। टम्टा का नाम तय होने से साफ है कि मुख्यमंत्री की राय को तरजीह मिली।

लोकसभा चुनाव प्रचार में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ऋषिकेश आए थे, तो उन्होंने देवभूमि के लोगों से पांच कमल मांगे थे। पांच सीटें जिताकर उत्तराखंड ने पीएम को अपना तोहफा दे दिया, लेकिन अपने दम पर भाजपा की सरकार न बनने और बदली हुई परिस्थितियों में गठबंधन की सरकार गठन की संभावना के बीच उत्तराखंड को पीएम से रिटर्न गिफ्ट मिलने की संभावनाएं फिफ्टी-फिफ्टी थी, लेकिन टम्टा को मंत्री बनाकर पीएम ने राज्य की मुराद पूरी की। केंद्र में मंत्री बनाए जाने की सबसे अधिक संभावनाएं गढ़वाल संसदीय सीट से चुने गए अनिल बलूनी की थी। रक्षा राज्यमंत्री राजनाथ सिंह ने तो चुनाव प्रचार में उन्हें मंत्री बनाने के संकेत भी दिए थे, लेकिन केंद्रीय नेतृत्व ने कैबिनेट के लिए टम्टा को चुना। राजनीतिक जानकारों के मुताबिक, टम्टा को क्षेत्रीय और जातीय समीकरणों का लाभ मिला। वर्तमान में कुमाऊं क्षेत्र से पुष्कर सिंह धामी मुख्यमंत्री हैं और क्षत्रिय हैं। उनके मंत्रिमंडल में कुमाऊं से दो कैबिनेट मंत्री हैं। गढ़वाल से भाजपा की कमान ब्राह्मण चेहरे महेंद्र भट्ट के हाथों में हैं। भट्ट अब राज्यसभा सदस्य भी हैं। ओबीसी का प्रतिनिधित्व राज्यसभा सदस्य कल्पना सैनी और वैश्य समाज का राज्यसभा सदस्य नरेश बंसल करते हैं। दोनों ही सांसद गढ़वाल मंडल से हैं। धामी मंत्रिमंडल में सतपाल महाराज, प्रेमचंद अग्रवाल, गणेश जोशी, सुबोध उनियाल, डॉ. धन सिंह रावत गढ़वाल मंडल का प्रतिनिधित्व करते हैं। विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी भूषण भी गढ़वाल से ही हैं। इस लिहाज से केंद्रीय नेतृत्व ने कुमाऊं मंडल के दलित चेहरे को मौका दिया।

 

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