Thursday, May 16, 2024
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भारत के देवभूमि उत्‍तराखंड के इस गांव में आज भी हनुमान जी से नाराज हैं लोग, नहीं करते पूजा

भारत में पूर्व से लेकर पश्चिम और उत्तर से लेकर दक्षिण तक आपको हर जगह भगवान श्री राम जी के परमभक्त हनुमान जी की पूजा करते हुए लोग दिख जाएंगे लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत राज्य देवभूमि उत्तराखंड का एक गांव ऐसा भी है जहां हनुमान जी की पूजा नहीं की जाती है और इतना ही नहीं रामलीला के मंचन के दौरान हनुमान जी के किरदार का मंचन नहीं किया जाता है।

कलयुग में हनुमान जी सबसे ज्यादा पूजे जाने वाले देवता हैं जिन्हें हनुमत भक्त शक्ति का पुंज, संकटमोचक, पवनपुत्र, बजरंगबली आदि नामों से उनके भक्त उन्हें पुकारते हैं। मान्यता यह भी है कि हनुमान जी का नाम लेते ही बड़े बड़े संकट अपने आप मिट जाते हैं। अष्टसिद्धि और नौनिधि के दाता श्री हनुमान जी रामायण काल में जहां जहां पर गए वह स्थान आज एक बड़े तीर्थ स्थल के नाम पर जाना जाता हैं जिनका दर्शन एवं पूजन सौभाग्य माना जाता है। लेकिन भारत के देवभूमि उत्तराखंड राज्य में एक ऐसा भी गांव हैं जहां हनुमान जी की पूजा करना गुनाह माना जाता है इसके पीछे उस गांव के लोगों की अपने ही मान्यता और नाराजगी है। जिस कारण उत्तराखंड के इस गांव में हनुमान जी की पूजा-अर्चना नहीं होती है और ना ही यहां रामलीला मंचन के दौरान हनुमान जी के किरदार का मंचन होता है।

उत्तराखंड के चमोली में स्थित द्रोणागिरी गांव के बारे में मान्यता है कि यह वह स्थान है जहां कभी रामायण काल में श्री हनुमान जी मूर्छित लक्ष्मण जी के इलाज हेतु संजीवनी बूटी को लेने के लिए आये थे। रामायण काल में हनुमान जी जिन स्थान पर गए हो वह सभी स्थान आज एक पावन तीर्थ स्थान के रूप में जाने जाते हैं लेकिन उत्तराखड के चमोली के इस गांव में हनुमान जी के आने के बावजूद यहां के लोग श्रीराम के अनन्य भक्त और सेवक माने जाने वाले श्री हनुमान जी की पूजा नहीं करते हैं इस गांव में हनुमान जी की पूजा के लिए कोई मंदिर आपको ढूंढने से भी नहीं मिलेगा और ना ही आपको इस गांव में कोई हनुमान भक्त मिलेगा।

कहते हैं कि जब रामायण काल में युद्ध करते हुए लक्ष्मण जी मेघनाथ के बाण से मूर्छित हो गए थे तो उनके इलाज के लिए वैद्य ने संजीवनी बूटी लेन को कहा था जिसके बाद श्री हनुमान जी संजीवनी बूटी को खोजते हुए हिमालय पर्वत के इसी स्थान पर आए थे मान्यता है कि उस समय इस गांव की एक महिला ने उन्हें संजीवनी बूटी से जुड़ा पर्वत का वह हिस्सा दिखाया जहां पर बड़ी मात्रा में संजीवनी उगी हुई थी जिसके बाद भी हनुमान जी को संजीवनी बूटी समझ में नहीं आई तो उन्होंने पूरा का पूरा पर्वत का एक हिस्सा ही उड़ा कर अपने साथ ले गए तब से यहां के लोग श्री हनुमान जी से खासे नाराज हैं और उनकी पूजा भी नहीं करते हैं आज इस गांव में हनुमान जी की पूजा को गुनाह माना जाता है।

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