Friday, March 29, 2024
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सर्वे में लेट लतीफी के चलते निकाय चुनाव में हो रही देरी।

उत्तराखंड प्रदेश में नवंबर माह में 09 नगर निगम, 43 नगर पालिका परिषद और 50 नगर पंचायतों में चुनाव होने हैं लेकिन ओबीसी सर्वेक्षण में बरती जा रही ढिलाई के चलते ऐसा माना जा रहा है कि निकाय चुनाव नवंबर माह की जगह और आगे खिसक सकते हैं।जिसकी वजह है निकाय चुनाव के मद्देनजर ओबीसी सर्वेक्षण में लेट लतीफी।
गौरतलब है कि  उत्तराखण्ड में निकाय चुनाव नवम्बर में होने थे, लेकिन ओबीसी सर्वेक्षण के चलते चुनाव निर्धारित समय से देरी पर होने की सम्भावनाएं पुरी तरह से बनी है। 09 नगर निगम, 43 नगर पालिका परिषद और 50 नगर पंचायतों में चुनाव होने हैं पर इससे पहले सभी निकायों में ओबीसी सर्वेक्षण का काम एकल सदस्यीय समर्पित आयोग के निर्देशों पर किया जा रहा है । उत्तराखंड में चल रहे निकायों के ओबीसी सर्वेक्षण में बड़े पैमाने पर घपला भी सामने आया है जिसकी वजह से नवंबर माह में संभावित निकाय चुनाव पर संकट पैदा हो गया है। ऐसी भी तमाम चर्चाएं हैं कि एकल सदस्यीय आयोग के अध्यक्ष ने सख्त नाराजगी जताते हुए अपर मुख्य सचिव को इस बाबत चिट्ठी भी भेज डाली है जिसमें उन्होंने सर्वेक्षण की गड़बड़ियों और सुस्त रफ्तार को लेकर सर्वेक्षण पूरा न होने को लेकर बात कही है हालांकि राज्य निर्वाचन आयोग बीती 12 अप्रैल को शासन से सभी निकायों के परिसीमन को लेकर ‘डिटेल रिपोर्ट’ के लिए पत्र भी लिख चुका है लेकिन राज्य सरकार या फिर शासन की तरफ से इस पर अभी कोई जवाब नहीं आ पाया है जिसको लेकर निर्वाचन आयोग से जुड़े शीर्ष अधिकारी भी मीडिया डोमेन में कुछ बोलने पर कन्नी काटते नज़र आ रहे हैं। मार्च माह में सर्वेक्षण की अंतिम तिथि तय की गई थी लेकिन निकायों में तय समय पर काम पूरा नहीं किया गया  । नगर पालिका खटीमा में सर्वे वार्डवार के बजाए आंकड़ों के आधार पर किया गया हालांकि आयोग ने इसे गंभीरता से लेते हुए खटीमा का सर्वे रद्द कर दिया है। अब शहरी विकास निदेशक को यहां दो सप्ताह के भीतर काशीपुर के अधिकारियों की निगरानी में दोबारा सर्वे कराने को कहा गया है। साथ ही खटीमा के अधिशासी अधिकारी को रुद्रपुर संबद्ध किया गया है। दूसरी तरफ नगर पालिका चंपावत और धारचूला के सर्वेक्षण में भी गड़बड़ियां मिलीं। इस पर आयोग ने धारचूला को 15 दिन और चंपावत को सात दिन के भीतर सर्वेक्षण की सभी खामियां दूर करते हुए दोबारा रिपोर्ट देने के लिए कहा है।
प्रदेश में 102 निकायों में ओबीसी सर्वे की जो रिपोर्ट एकल सदस्यीय समर्पित आयोग को मिलेगी, उस पर आयोग आपत्तियां सुनेगा। आयोग के पदाधिकारी निकायों में जाकर सर्वे की हकीकत भी जानने में लगे हुए हैं। अगर सर्वे रिपोर्ट आने में चार से पांच माह और लगते हैं तो इसके बाद अपना काम पूरा करने को आयोग को कम से कम दो माह और चाहिए जिससे नवंबर में होने वाले निकाय चुनाव नवम्बर माह से और आगे के महीनों की तरफ शिफ्ट हो सकते हैं। निकाय चुनाव में हो रही लेटलतीफी को लेकर अब भाजपा कांग्रेस भी आमने सामने नज़र आ रही है भाजपा से जुड़े पदाधिकारियों की मानें तो भाजपा पार्टी संगठन स्तर पर मज़बूत है और समयबद्ध तरीके से राज्य सरकार निकाय चुनाव कराने में सक्षम है जबकि कांग्रेस से जुड़े प्रवक्ता निकाय चुनाव के तहत ओबीसी सर्वेक्षण में हो रही लेटलतीफी को लेकर राज्य सरकार की फज़ीहत करते नज़र आ रहे हैं। कांग्रेस की मानें तो धामी सरकार गलत सर्वे के आधार पर निकाय चुनाव कराने की नीयत से ओबीसी सर्वेक्षण में लेटलतीफी कर रही है।

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