Friday, March 29, 2024
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अल्मोड़ा :भुवनेश्वर महादेव मंदिर एवं रामलीला समिति कर्नाटक खोला में सांस्कृतिक कार्यक्रमों की धूम

अल्मोड़ा ::- भुवनेश्वर महादेव मंदिर एवं रामलीला समिति कर्नाटक खोला अल्मोड़ा में सांस्कृतिक कार्यक्रमों की धूम रही। अल्मोड़ा के सभी स्थानों में रामलीला का समापन हो जाने के कारण इस सांस्कृतिक कार्यक्रम में भारी संख्या में दर्शक उमड़ पडे़ और देर रात तक झूमते-गाते हुये आनन्द लेते रहे। माया उपाध्याय एवं पूर्व दर्जा मंत्री बिट्टू कर्नाटक द्वारा संयुक्त रुप से दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया। समिति के महिला पदाधिकारियों ने माया उपाध्याय को अंग वस्त्र भेंट कर प्रतीक चिन्ह देकर उनका स्वागत,अभिनन्दन किया।



रामलीला समिति के सस्थापक,संयोजक पूर्व दर्जा मंत्री बिट्टू कर्नाटक ने अपने संबोधन में कहा कि आज युवा पीढी को अपनी संस्कृति से जोडने का जो बीडा मायाने उठाया है वह अपने आप में बहुत ही आवश्यक है जहां युवा पीढी भटकाव के मार्ग पर बढ रही है उन्हें सांस्कृतिक कार्यक्रमों उत्तराखण्ड की लोक कला, संस्कृति, रामलीलाओं आदि से जोडने की आवश्यकता है। आज हमारे युवा पाश्चात्य संस्कृति की ओर लगातार आकर्षित हो रहे हैं और अपनी परम्परागत उत्तराखण्ड की लोक कला,लोक संगीत से दूर होते जा रहे हैं। इन युवाअेां को अपने मधुर गीतों से माया उपाध्याय जी ने पुनः उत्तराखण्ड की सभ्यता, संस्कृति और विरासत से जोडने का प्रयास किया है और आज इस नवसृजित राज्य में इस प्रकार के आयोजन अत्यन्त आवश्यक हैं। जिससे हम युवाअेां को सनातन धर्म के साथ -साथ अपनी उत्तराखण्ड की लोक कला और संस्कृति के साथ सजो कर रख सकें।

अपने सम्बोधन में माया उपाध्याय ने कहा कि उनका मुख्य उद्देश्य किसी भी तरह अपनी युवा पीढ़ी को उनकी मदद के अनुसार अपनी बोली-भाषा के गीतों के माध्यम से जोड़े रखना, आधुनिक तकनीक के युग में उत्तराखण्ड़ के लोक संगीत को तकनीकी रूप से भी सर्वश्रेष्ठ बनाकर अन्तराष्ट्रीय पहचान देना है ताकि अन्य भाषा बोली की तरह लोग उत्तराखण्ड़ के गीत-संगीत की ओर आकर्षित हों और उसे सुनें। उन्होंने कहा कि उनका प्रयास उत्तराखण्ड़ की लोक विधाओं झोड़ा, चांचरी, न्योली, बसंतगीत, ऋतुरैण व पारंपरिक महिला प्रधान गीतोें पर है। इन गीतों के जरिये वह प्रवासियों के बीच ग्रामीण क्षेत्रों सेे लगातार हो रहे पलायन की बात पहुंचाने की कोशिश करेंगी ताकि प्रवासियों का ध्यान अपनी जन्मभूमि की ओर खींचा जा सके। अपने गीतों से पहाड़ की संस्कृति को संजोने वाली माया उपाध्याय आज भी अपनी भाषा को सर्वोपरि रखती हैं।
माया उपाध्याय ने कुमांऊनी लोक गीतों से मंच पर समां बांधा। सुप्रसिद्व लोक गायिका ने युवाओं में अपनी भाषा के प्रति लगाव को बढ़ाने के उद्देश्य से देर रात तक
उत्तराखण्ड़ की सांस्कृतिक विरासत से जुडे प्रचलित लोक गीत,कुमांऊनी एवं गढ़वाली दोनों ही बोलियों में अपने गीतों को सुनाकर दर्शकों का मनोरंजन किया। तद्पश्चात महिला समिति कर्नाटक खोला द्वारा सामुहिक रूप से गोल घेरे में खड़े होकर एक दूसरे से हाथ व कंधा जुड़ाये हुये एक विशेष प्रकार के पद-संचालन के साथ पारम्परिक नृत्य करते हुये झोडे़ गाये। सांस्कृतिक कार्यक्रमों से दर्शकों ने देर रात्रि तक मनोरंजन किया तथा तालियों से कलाकारों का उत्साहवर्धन किया।

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