Thursday, April 25, 2024
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त्रिदिवसीय राष्ट्रीय आधुनिक विज्ञान परीक्षा में भारतीय ज्ञान प्रणाली का पुनरीक्षण कार्यशाला आयोजित

चमन लाल महाविद्यालय लंढौरा में आईसीपीआर द्वारा आयोजित त्रिदिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला आधुनिक विज्ञान परीक्षा में भारतीय ज्ञान प्रणाली का पुनरीक्षण 13 से 15 मार्च को आयोजित किया गया। जिसमें सर्वप्रथम मां सरस्वती की आगे दीप प्रज्वलित कर सरस्वती वंदना कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। प्रबंध समिति के अध्यक्ष रामकुमार शर्मा व कोषाध्यक्ष अतुल हरित ने सभी को शुभकामनाएं प्रेषित की।

महाविद्यालय की प्राचार्या डॉ.दीपा अग्रवाल ने सभी अतिथियों का स्वागत सत्कार किया व गंगाजल व भागवत गीता भेंट स्वरूप प्रदान किया। कार्यशाला के द्वितीय दिवस पर मुख्य वक्ता के रूप में डॉ.अरुण मिश्रा, उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय, हरिद्वार ने अपने वक्तव्य में बताया कि वेद भारतीय संस्कृति के मूलाधार हैं। सृष्टि के आदिकाल में परमपिता परमात्मा ने चार ऋषियों के पवित्र अंत:करण में वेदरूपी सूर्य का प्रकाश किया। जिसमें बताया कि जिस प्रकार कोई उत्पादक किसी वस्तु का उत्पादन करता है तो उस वस्तु पर उसके प्रयोग करने की विधि भी लिख देता है ठीक उसी प्रकार जब परमात्मा ने मनुष्यों को वेद ज्ञान दिया तो उसके साथ-साथ वेद रूपी, संविधान भी दिया। जिसके माध्यम से हमें यह ज्ञात हो जाता है कि इस दुनिया में कैसे रहना है? कैसा हमारा खान-पान हो, कैसा आचार-विचार हो, कैसी उपासना पद्धति हो? इन सब बातों के लिए यह वेद ज्ञान दिया, क्योंकि वेद जीवन ग्रंथ हैं। यह हमें जीवन जीने की कला सिखाता है। कहा कि वेदों में सभी प्रकार की ज्ञानराशि होती हैं।

मुख्य वक्ता प्रो. ललित तिवारी कुमाऊं विश्वविद्यालय ने कहां कि कुदरत के दिये गये वरदानों में पेड़-पौधों का महत्वपूर्ण स्थान होता है। पेड़-पौधे मानवीय जीवन चक्र में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसमें न केवल भोजन संबंधी आवश्यकताओं की पूर्ति ही नहीं होती बल्कि जीव जगत से नाजुक संतुलन बनाने में भी ये आगे रहते हैं। औषधीय पौधे न केवल अपना औषधीय महत्व रखते हैं बल्कि आय का भी एक जरिया बन जाते हैं। हमारे शरीर को निरोगी बनाये रखने में औषधीय पौधों का अत्यधिक महत्व होता है यही वजह है कि भारतीय पुराणों, उपनिषदों, रामायण एवं महाभारत जैसे प्रमाणिक ग्रंथों में इसके उपयोग के अनेक साक्ष्य मिलते हैं। मुख्य वक्ता डॉ.मनोज कुमार, गुरुकुल कांगड़ी हरिद्वार ने कहा कि वेद और शास्त्रों में गणित का उच्च स्थान होता है। जैसे मोरों में शिखा और नागों में मणि का स्थान सबसे ऊपर है वैसे ही सभी वेदों और शास्त्रों में गणित का स्थान सबसे ऊपर होता है।डॉ. सौरभ गुलेरी, एसजीआरआर देहरादून ने अपने वक्तव्य में बताया बताया कि उन्होंने रिसर्च किया है कि गढ़वाल,जौनपुरी की जातियां व प्रजातियों में वहां की महिलाएं बीमार हो जाने पर बाहर डॉक्टर के पास नहीं जाया करती हैं वह घरेलू औषधियों द्वारा ही अपना उपचार किया करती हैं। वह अपनी बीमारियों का कभी किसी के सामने खुलकर बात भी नहीं कर पाती हैं। उन्होंने बताया कि वहां पर बहुत ज्यादा आयुर्वेदिक औषधियां में उपलब्ध है। मुख्य वक्ता मनोज कुमार, गुरुकुल कांगड़ी, हरिद्वार ने अपने वक्तव्य में PPP के बारे में बताया। डॉ. निधि हंडा कन्या गुरुकुल केंपस ने हम सबके समक्ष अपने विचार साझा किए।द्वितीय पाली टेक्निकल सेशन का रहा। जिसमें जबलपुर, झारखंड, बिहार,जमशेदपुर,जबलपुर ,मध्य प्रदेश इत्यादि जगहों से छात्र-छात्राओं ने अपने पेपर प्रस्तुत किये। उन छात्र-छात्राओं में से एस एम जैन पी जी कॉलेज की डॉ पद्मा तनेजा को बेस्ट पेपर प्रेजेंटेशन के अवार्ड से सम्मानित किया गया।कार्यक्रम समन्वयक डॉ.ऋचा चौहान व आयोजन सचिव डॉ.तरुण कुमार गुप्ता रहे।

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