पृथ्वी पर पर्यावरण परिवर्तन का आधारभूत कारण विश्वभर में वनस्पति और जीवों की जीवनप्रणालियों में बदलाव है। यह प्राकृतिक प्रक्रियाओं और मानव गतिविधियों के परिणामस्वरूप होता है और इसके कई प्रभाव होते हैं:

1. जलवायु परिवर्तन:जलवायु परिवर्तन विश्वभर में मौसम परिवर्तन, उष्णता वृद्धि, बारिश की अनियमितता, बर्फ की घटता, और तूफानों की आमता में बदलाव ला सकता है।
2. जैव विविधता की हानि: जलवायु परिवर्तन के कारण वनस्पतियों और जीवों के प्राकृतिक आवासों में कमी हो रही है, जिससे जैव विविधता को हानि पहुँच रही है।
3. जल संकट: उष्णता वृद्धि के कारण जल स्रोतों की कमी हो रही है और इससे जल संकट की स्थिति उत्पन्न हो रही है।
4.समुद्र स्तर की बढ़ोतरी: ग्लेशियरों की पिघलने के कारण समुद्र स्तर में बढ़ोतरी हो रही है, जिससे तटीय क्षेत्रों में समस्याएँ उत्पन्न हो रही हैं।
5. वनस्पति और फसलों पर प्रभाव:उष्णता वृद्धि से फसलों की खराबी, पेड़-पौधों के प्राकृतिक जीवों के प्रति आस्था की कमी, और जलवायु परिवर्तन के कारण वनस्पतियों की परिणति में बदलाव हो सकता है।
6. मानव स्वास्थ्य पर प्रभाव: उष्णता वृद्धि से विभिन्न प्रकार की बीमारियों का प्रसार बढ़ सकता है, जैसे कि डेंगू और मलेरिया।
इन प्रभावों के साथ-साथ, पर्यावरण परिवर्तन का समाधान निकलने के लिए हमें उर्जा विकल्पों की ओर मुख्य ध्यान देने की आवश्यकता है, व्यापारिक गतिविधियों में पर्याप्त ध्यान देने और जलवायु परिवर्तन को रोकने और उसके प्रभावों का सामना करने के लिए सामाजिक जागरूकता बढ़ाने की भी आवश्यकता है।