23september,2023
उत्तराखंड: घर फूँक दिया हमने अब राख उठानी है, ज़िन्दगी और कुछ भी नहीं तेरी मेरी कहानी है। संतोष आनंद द्वारा लिखा गया ये नग़मा किसी की ज़बान से मुश्किल ही है की जाए शायद संतोष आनंद एक मशहूर भारतीय गीतकार हैं जिन्होंने ने बॉलीवुड के संगीतों को अपनी दर्द भरी ज़िन्दगी दी है संतोष आनंद जी एक मशहूर कवि और गीतकार जिन्होंने हिंदी फिल्मों के लिए अनेक प्रसिद्ध गीत लिखे हैं जिनकी वजह से हर कोई उनको जानता है। संतोष आनंद जी एक बहुत ही स्वाभिमानी व्यक्ति हैं ।संतोष आनंद जी का जन्म 5 मार्च 1940 को सिकंदराबाद जिले, बुलंदशहर , उत्तर प्रदेश में हुआ था।बाद में उन्होंने अपनी आगे की शिक्षा अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से प्राप्त की। आरंभ से ही संगीत में रुचि होने के कारण उन्होंने बॉलीवुड की ओर रुख किया।

संतोष आनंद एक प्रसिद्ध भारतीय गीतकार हैं जिन्हें बॉलीवुड संगीत में उनके योगदान के लिए जाना जाता है। जहां उनकी जीवन कहानी चुनौतियों से भरी है, वहीं इसमें लचीलापन और रचनात्मकता भी है।
संतोष आनंद के जीवन का एक दुखद पहलू वित्तीय कठिनाइयों और स्वास्थ्य समस्याओं से उनका संघर्ष है। उन्हें अपने जीवन में विभिन्न बिंदुओं पर वित्तीय कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, जिसमें बेघर होने की अवधि भी शामिल थी। संगीत उद्योग में अपनी प्रतिभा और सफलता के बावजूद, उन्होंने वित्तीय अस्थिरता का अनुभव किया।
इसके अतिरिक्त, संतोष आनंद को 1980 के दशक में एक दुखद दुर्घटना का सामना करना पड़ा, युवावस्था में ही उनका एक्सीडेंट हो गया था जिसके कारण उन्हें अपना एक पैर खोना पड़ा। जिसके बाद संतोष आनंद जी विकलांग हो गए लेकिन उन्होंने अपना आत्मविश्वास नहीं खोया और अनेक यादगार गीत लिखे जिन्हें लोग आज तक याद रखते है। जिसके बावजूद उन्होंने कवी सम्मलेन व गीत लिकने और गाने नहीं छोड़े उनका जज्बा कायम था लेकिन तक़दीर को यह मंजूर न था विवाह के 10 साल बाद उन्हें एक बेटा पैदा हुआ था जिसका नाम उन्होंने संकल्प आनंद रखा। बड़ा होने के बाद संकल्प ने अपने पिता को बताए बिना नंदिनी से शादी कर ली। संकल्प भारत सरकार के गृह मंत्रालय में क्रिमिनोलॉजी और फोरेंसिक साइंस के लेक्चरर थे। लेकिन साल 2014 में संकल्प ने अपनी पत्नी के साथ मथुरा रेलवे स्टेशन पर ट्रेन के सामने कूदकर आत्महत्या कर ली।संकल्प और नंदिनी की बेटी रिद्धिमा आनंद भी है। संकल्प ने 10 पन्नों का एक सुसाइड नोट लिखा जिसमें उन्होंने गृह मंत्रालय में हो रहे भ्रष्टाचार का खुलासा किया। बेटे की मृत्यु के बाद संतोष आनंद जी पर दुखों का पहाड़ उमड़ पड़ा। वर्ष 2021 तक लोग उन्हें भूल गए और वे शारीरिक रूप से भी असहाय हो गए।
हालाँकि, संतोष आनंद की कहानी में जो बात सामने आती है, वह इन चुनौतियों से पार पाने का उनका दृढ़ संकल्प है। उन्होंने हृदयस्पर्शी और अर्थपूर्ण गीत लिखना जारी रखा, जिसने कई संगीत प्रेमियों के दिलों को छू लिया। हाल के वर्षों में, COVID-19 महामारी के दौरान “मुस्कुराएगा इंडिया” गीत में उनके योगदान ने उनकी स्थायी भावना और रचनात्मकता को प्रदर्शित किया।
संतोष आनंद के जीवन में दुख और प्रतिकूलता का हिस्सा हो सकता है, लेकिन यह उनकी कला और संगीत के माध्यम से आशा और सकारात्मकता खोजने की उनकी क्षमता के लिए प्रेरणा के रूप में भी काम करता है। उनके गीत आज भी लोगों द्वारा पसंद किये जाते हैं और उन्होंने भारतीय सिनेमा पर अमिट प्रभाव छोड़ा है।