Friday, April 19, 2024
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केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने किया जैसलमेर स्थित श्री तनोट मंदिर कॉम्प्लेक्स परियोजना का शिलान्यास और भूमिपूजन, जानिए क्यों भारतीय सेना के लिए बेहद खास हैं ये मंदिर

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने अपनी राजस्थान यात्रा के दूसरे दिन आज शनिवार को जैसलमेर में सीमा पर्यटन विकास कार्यक्रम के अंतर्गत तनोट मंदिर कॉम्प्लेक्स परियोजना का शिलान्यास और भूमिपूजन किया।
अमित शाह ने जैसलमेर में ‘तनोट विजय स्तंभ’ पर सीमाओं की सुरक्षा के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर करने वाले वीर बलिदानियों को नमन कर कृतज्ञ राष्ट्र की ओर से श्रद्धांजलि दी।
बता दें की प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश में पहली बार सीमावर्ती क्षेत्रों में विकास पहुँच रहा है और बॉर्डर टूरिज्म की दूरदर्शी पहल के फलस्वरूप न सिर्फ सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाले लोगों का जीवनस्तर ऊपर उठ रहा है बल्कि यहाँ से पलायन भी रुक रहा है, जिससे क्षेत्र की सुरक्षा को भी बल मिल रहा है। इसी कड़ी में केन्द्रीय गृह मंत्री ने जैसलमेर में सीमा पर्यटन विकास कार्यक्रम के अंतर्गत 17.67 करोड़ रूपए की तनोट मंदिर कॉम्प्लेक्स परियोजना का शिलान्यास किया, जिससे यहाँ आने वाले युवा तनोट माता मंदिर के दर्शन करने के साथ ही देश के बहादुर सैनिकों के शौर्य व बलिदान के इतिहास को भी करीब से जान पाएंगे।
इस परियोजना के तहत प्रतीक्षालय, रंगभूमि, इंटप्रेटेशन केंद्र, बच्चों के लिए कक्ष एवं पर्यटन को बढ़ावा देने के लिय अन्य ज़रूरी सुविधाओं को विकसित किया जाएगा।


आस्था और शक्ति का प्रतीक हैं जैसलमेर में स्थित तनोट माता का मंदिर

जैसलमेर में स्थित ऐतिहासिक श्री मातेश्वरी तनोट राय मंदिर का अद्भुत इतिहास है और ऐसी मान्यता है कि तनोट माँ जवानों को दुश्मनों से लड़ने की शक्ति देती हैं और युद्ध में देश की रक्षा करती हैं।
1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में श्री तनोट राय माता मंदिर परिसर में पकिस्तान द्वारा कई बम के गोले गिराए गये थे लेकिन तनोट माता के चमत्कार से कोई भी गोला नहीं फटा था। जिसके बाद से वर्ष 1965 से सीमा सुरक्षा बल इस मन्दिर की पूजा अर्चना एवं व्यवस्था का कार्यभार संभाल रहा है। सीमा सुरक्षा बल इस मन्दिर को एक ट्रस्ट के माध्यम से संचालित करता है एवं प्रतिदिन सुबह-शाम माता की आरती एवं भजन संध्या का आयोजन किया जाता है जिसमें हज़ारों की तादाद में देश के विभिन्न हिस्सों से श्रद्धालुगण आते हैं। इतिहास गवाह है कि 1971 के भारत- पाकिस्तान लोंगेवाला युद्ध के दौरान सीमा सुरक्षा बल के बहादुर जवानों ने लोंगेवाला पोस्ट पर‌ अहम एवं निर्णायक भूमिका अदा की थी।
सरहद पर बना यह मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था के केंद्र के साथ साथ भारत-पाक के 1965 व 1971 के युद्ध का गवाह भी रहा है। युद्धकाल में यहां जो घटनाएं हुई हैं उसे आज तक लोग माता का चमत्कार मानते आए हैं। यही वजह है कि भारतीय सेना की रक्षक के रूप में पूरा देश तनोट माता को पूजता है। 1965 के भारत पाक युद्ध के दौरान भारतीय सैनिकों और सीमा सुरक्षा बल के जवानों की तनोट माता ने मां बनकर ही रक्षा की थी।
इस घटना की याद में तनोट माता मंदिर के संग्रहालय में आज भी पाकिस्तान की ओर से दागे गये जिंदा बम रखे हुए हैं।


युद्ध में दुश्मन ने दागे हजारों बम, 450 बम मंदिर परिसर में गिरे लेकिन फटे तक नहीं
1965 के भारत पाकिस्तान युद्ध के दौरान शत्रु ने तीन अलग-अलग दिशाओं से तनोट पर भारी आक्रमण किया। लड़ाई में पाकिस्तानी सेना कि तरफ से गिराए गए करीब 3000 बम भी इस मंदिर पर खरोच तक नहीं ला सके। यहां तक कि मंदिर परिसर में गिरे जिसमें से 450 बम तो फटे तक नहीं। ये बम आज भी मंदिर परिसर में मौजूद है।

1965 भारत – पाकिस्तान युद्ध के दौरान दुश्मन की ओर से दागे गए गोले जो आज भी मंदिर परिसर में मौजूद हैं

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