दिल्ली । सात देशों के समूह बिम्सटेक के महासचिव तेनजिन लेकफेल सोमवार से भारत की चार दिवसीय यात्रा पर रहेंगे, यहां वह बिम्सटेक के सहकारी एजेंडे को आगे ले जाने के नए रास्ते तलाशेंगे।
भारत क्षेत्रीय सहयोग के लिए बिम्सटेक को एक जीवंत मंच बनाने के समन्वित प्रयास कर रहा है, क्योंकि दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संघ (दक्षेस) के तहत उठाए गए कदम विभिन्न कारणों से आगे नहीं बढ़ रहे हैं।
विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा, “तेनजिन लेकफेल भारत के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ चर्चा करेंगे कि बिम्सटेक संगठन और सदस्यों देशों के बीच सहयोग को उसके नेताओं के आदेश के अनुसार आगे कैसे ले जाया जाए.” मंत्रालय ने कहा, “भारत बिम्सटेक मंच पर सुरक्षा सहयोग स्तंभ का नेतृत्व करता है, जिसमें आपदा प्रबंधन, समुद्री सहयोग और ऊर्जा सहयोग भी शामिल है। ये सभी क्षेत्र में एसडीजी (सतत विकास लक्ष्य) हासिल करने के लिए अहम हैं।
बिम्सटेक क्या है?
बिम्सटेक का पूरा नाम बे ऑफ बंगाल इनिशिएटिव फॉर मल्टी-सेक्टोरल टेक्निकल एंड इकोनॉमिक को-ऑपरेशन हैं।
यह एक क्षेत्रीय बहुपक्षीय संगठन है तथा बंगाल की खाड़ी के तटवर्ती और समीपवर्ती क्षेत्रों में स्थित इसके सदस्य हैं जो क्षेत्रीय एकता का प्रतीक हैं।
इसके 7 सदस्यों में से 5 दक्षिण एशिया से हैं, जिनमें बांग्लादेश, भूटान, भारत, नेपाल और श्रीलंका शामिल हैं तथा दो- म्याँमार और थाईलैंड दक्षिण-पूर्व एशिया से हैं।
बिम्सटेक न सिर्फ दक्षिण और दक्षिण पूर्व-एशिया के बीच संपर्क बनाता है है बल्कि हिमालय तथा बंगाल की खाड़ी की पारिस्थितिकी को भी जोड़ता है।
इसके मुख्य उद्देश्य तीव्र आर्थिक विकास हेतु वातावरण तैयार करना, सामाजिक प्रगति में तेज़ी लाना और क्षेत्र में सामान्य हित के मामलों पर सहयोग को बढ़ावा देना है।